
आयाम कई हैं, हरि अनंत-हरि कथा अनंता। लेकिन, हम आज राम नवमी पर श्रीराम के उन नौ रूपों के बारे में चर्चा करेंगे जो जीवन में प्रेरणा और ज्ञान भरते हैं।
अयोध्या और दशरथ का आंगन
अयोध्या की भूमि और दशरथ का आंगन जहां भगवान नर अवतार लेकर आए। ये भी एक संकेत है, अयोध्या का मूल अर्थ है अ+युद्ध, मतलब वो स्थान जहां युद्ध ना होता हो, जो शांति की भूमि हो। और, दशरथ का अर्थ है, जो दस घोड़ों के रथ पर सवार हो। दस घोड़ों वाला रथ सिर्फ धर्म का है, अध्यात्म कहता है धर्म के दस अंग हैं। मनु ने धर्म के दस लक्षण कहे हैं - धृति: क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह:। धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्।। (मनु स्मृति 6-96)
अर्थ- धृति (धैर्य), क्षमा, दम (संयम) अस्तेय (चोरी ना करना). शौच (भीतर और बाहर की पवित्रता), इंद्रिय निग्रह (इंद्रियों को वश में रखना), धी (बुद्धि), विद्या, सत्य और अक्रोध। ये दस धर्म के लक्षण हैं। जो इन दस घोड़ों के रथ पर सवार है, वही दशरथ है। सीधा अर्थ है, जिस मन में भावनाओं का युद्ध ना हो, मन का स्वामी धर्म के दस लक्षणों से युक्त हो तो राम उसके मन में जन्म लेंगे।
राम होने का अर्थ क्या?
राम शब्द जितना छोटा है, इसकी व्याख्या उतनी ही विशाल है। पुराण कहते हैं “रमंते सर्वत्र इति रामः” अर्थात जो सब जगह व्याप्त है वो राम है। संस्कृत व्याकरण और शब्द कोष कहता है “रमंते” का अर्थ है राम, अर्थात जो सुंदर है, दर्शनीय है वो राम है। मनोज्ञ शब्द को भी राम से जोड़ा जाता है। मनोज्ञ का अर्थ है मन को जानने वाला। हिंदी व्याख्याकार राम का अर्थ बताते हैं जो आनंद देने वाला हो, संतुष्टि देने वाला हो।
श्रीराम नाम महिमा…..
चहुँ जुग तीनि काल तिहुँ लोका। भए नाम जपि जीव बिसोका।।
बेद पुरान संत मत एहु। सकल सुकृत राम सनेहु।। (बालकांड, दोहा - 26/चौपाई-1)
बेद पुरान संत मत एहु। सकल सुकृत राम सनेहु।। (बालकांड, दोहा - 26/चौपाई-1)
अर्थ - चारों युगों में, तीनों कालों में और तीनों लोकों में, नाम को जप कर जीव शोक रहित हुए हैं। वेद, पुराण और संतों का मत यही है कि समस्त पुण्यों का फल श्रीरामजी (या राम नाम) में प्रेम होना है।
तुलसीदास ने बालकांड में राम नाम की महिमा का बखान किया है। राम शब्द को कई ग्रंथों ने संपूर्ण मंत्र तक माना है। राम नाम ग्रंथों में सबसे छोटा और सबसे सटीक मंत्र कहा गया है। ये इतना आसान है कि प्राचीन काल से राम शब्द भारतीय संस्कृति में अभिवादन करने के लिए भी उपयोग किया जाता है। स्वर विज्ञान कहता है, दीर्घ स्वर में राम शब्द का उच्चारण करने से शरीर पर वैसा ही असर पड़ता है, जैसा ऊँ के उच्चारण से होता है।
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