रावण की पत्नी मंदोदरी जानती थी कि रावण के दुराचार का प्रभाव उसे एक दिन जरूर विधवा बना देगा क्योंकि रावण को श्री राम के हाथों मरने का श्राप मिला हुआ है। इसलिए मंदोदरी ने रावण कई बार कहा कि वह सीता को वापस श्री राम के पास भेज दे लेकिन रावण ने उसकी एक नहीं सुनी। एक आश्चर्य की बात यह है कि पंडित रावण भी यह बात जानता था कि वह श्री राम के द्वारा एक दिन मारा जायेगा।
पुराणों अनुसार एक बार स्वर्ग की मथुरा अप्सरा कैलाश पर्वत पर आयी और माता पार्वती को न देखते हुए शिव को आकर्षित करने की कोशिश करने लगी लेकिन जब यह बात पार्वती को पता चली उन्होंने उस अप्सरा को मेंढकी होने का श्राप दे दिया और कठिन तप के बाद ही वह असल रूप में आ सकती थी इसलिए उस अप्सरा ने 12 वर्षों तक कुएँ में तपस्या की। एक दिन मयासुर और उनकी पत्नी हेमा सुंदर पुत्री की इच्छा करते हुए तप करते है तब वह मथुरा अप्सरा श्राप से मुक्त हो जाती है और मयासुर उसे पुत्री के रूप में गोद लेते है।
अप्सरा होने के कारण रावण का मन मंदोदरी पर आ जाता है और वह उसे अपनी श्रेष्ठ पत्नी का दर्जा देते हुए विवाह कर लेता है लेकिन मंदोदरी रावण के कुकर्मों से परेशान रहने लगती है। इसके बावजूद वह अपना धर्म निभाती है मंदोदरी से रावण के पुत्र अक्षय कुमार, मेघनाद और अतिकाय हुए। मंदोदरी ने हमेशा रावण को सच्चे मार्ग पर चलने की विनती की लेकिन अहंकारी रावण किसी की नहीं सुनता था।
अंत समय में जब रावण की मृत्यु हो जाती है तब मंदोदरी अपने लोगो के शव देखकर बहुत दुखी हो जाती है और अपने आप को एक कमरे में बंद कर देती है। श्री राम विभीषण को लंका का राजा बना देते है कई साहित्यकार बताते है कि मंदोदरी ने रावण के मरने के कई सालों बाद विभीषण से विवाह किया और लंका का राज्य न्याय पूर्वक चलाया था।
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