जीवन जितना महत्वपूर्ण है उससे भी अधिक शरीर की सुरक्षा रखना जरुरी है इसलिए पौराणिक शास्त्रों ने भगवान धन्वंतरि ने आयुर्वेद शास्त्र का निर्माण किया जो मनुष्य के सभी रोगों का निवारण कर सकता है लेकिन समय के साथ यह ज्ञान लुप्त होता गया। आज हम आपको जो जानकारी देने वाले है इसका वर्णन प्राचीन शास्त्रों में किया गया है जो आवश्यकता से अधिक नहीं करने चाहिए।
1) अधिक भोजन का सेवन -
माना कि जीवन जीने के लिए खाना ज़रूरी है लेकिन आवश्यकता से अधिक भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह व्यक्ति के अंदर विभिन्न बीमारियों को दावत देता है जिससे मोटापा,गैस और पाचनतंत्र बिगड़ जाता है ऐसा होने पर शरीर कमज़ोर हो जाता है क्योंकि यह तीनों चीज़े नई नई बीमारी को बढ़ाने का कार्य करती है।
2) मदिरा का सेवन -
अधिक मात्रा में मदिरा यानि शराब पीने से व्यक्ति कमजोर हो जाता है उसकी बुद्धि का विकास धीमा होने से यादाश्त पर भी असर होने लगता है इसलिए इसका अधिक सेवन नहीं करना बेहतर विकल्प है वही यह शास्त्र विरुद्ध बताया गया है।
3) कामुक व्यक्ति -
शास्त्र अनुसार अधिक कामुकता वाले लोग अपने कर्तव्य को भूल जाते है और उनकी मति उसी चीज़ पर रहती है जिससे जीवन के मुलभुत लक्ष्य से भटक जाते है और जिस तरह आवश्यकता से अधिक पानी भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है उसी तरह यह चीज़ भी शरीर को कमजोर बना देती है।
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