हर माता पिता सोचते है कि उनके बच्चे उनसे भी आगे पढ़ लिख कर बड़े व्यक्ति बने, इसी सपने को पूरा करने के लिए वे अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देते है। वे अपने सपनों का गला घोट कर उन्हें उच्च शिक्षा देने के लिए कड़ी मेहनत भी करते है और एक समय ऐसा भी आता है जब वह बच्चे किसी अच्छे मुकाम पर पहुँच जाते है।
हालांकि माता पिता को बच्चों के पैसों में ज्यादा रूचि नहीं होती, लेकिन वे चाहते है कि जैसा दुःख उन्होंने देखा है वैसा समय उनके बच्चे ना देखे इसलिए वे अपनी जिंदगी को दाव पर लगा कर भी बच्चों की सुविधा में कोई कसर नहीं छोड़ते। एक बात याद रखना मित्रों, अगर इस दुनिया में कोई आपका भला सोच सकता है तो वह आपके माता पिता ही है इसलिए उनका दिल कभी मत दुखाना।
लेकिन हैरानी की बात है कि वहीं बच्चा जब बड़ा होता है तो माता पिता ही उसके लिए बोझ बन जाते है वह इस बात को भूल जाता है कि उसको काबिल व्यक्ति बनाने के लिए उन्होंने कितने दुखों को अपने सीने में लगाकर रखा होगा, ना जाने कितने ही लोगों के बुरे वचन सुनने पड़े होंगे।
जब बुढ़ापा आता है तब व्यक्ति के अंदर इतनी हिम्मत नहीं होती कि वह खुद अपना गुजारा कर सकें, ऐसे में उसके बेटे ही उसका सहारा बनते है।
ज़रा विचार कीजिए कि कितना बुरा लगता होगा उस बूढ़े पिता को, जिसने ऊँगली पकड़ कर आपको स्कूल का रास्ता दिखाया और उसी व्यक्ति को जब बेटा वृद्धा आश्रम का रास्ता दिखा कर कहता है कि अब यहीं आपका घर है। इसलिए दोस्तों चाहे आपकी परिस्थिति कैसी भी हो, लेकिन जन्म देने माँ बाबूजी को कभी अकेला मत छोड़ना क्योंकि उनसे बढ़कर कोई नहीं।
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जय श्री कृष्णा
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