श्री कृष्ण को समझ पाना साधारण लोगो का कार्य नहीं है नारायण हमेशा अलग रूप में इस संसार पर अवतार लेते है लेकिन मुर्ख़ लोग हमेशा उनका उपहास करते है जिसका वर्णन स्वयं गीता में किया गया है कि उन्हें नास्तिक मनुष्य कभी समझ नहीं सकते। प्राचीन समय में लोग बहुत संस्कारी और धार्मिक प्रकृति वाले होते थे शायद इसी वजह से वे आज के मनुष्य की तुलना सुखी और लंबा जीवन जीते थे।
पौराणिक दौर में राक्षस अपना साम्राज्य ज़माने के लिए हर मुमकिन कोशिश करते थे लेकिन भगवान हर बार अलग अलग अवतार ले कर उनका संहार कर देते थे एक बार नरकासुर नामक ताक़तवर राक्षस हुआ जिसने अपनी शक्ति से इंद्र, वरुण, अग्नि, वायु आदि सभी देवताओं को परेशान करके रखा हुआ था उसने देवताओं के साथ साथ 16 हज़ार महिलाओं को भी बंदी बनाना शुरू कर दिया था।
लेकिन जब अन्तर्यामी श्री कृष्ण को इस बात का पता चला तो उन्होंने नरकासुर का वध करने के लिए अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद ली थी, अब आप सोच रहे होंगे कि भगवान होते हुए उन्होंने स्त्री की मदद से दैत्य को क्यों मारा? क्योंकि नरकासुर को वरदान मिला था कि उसकी मृत्यु सिर्फ स्त्री के हाथों ही हो सकती है। श्रीकृष्ण ने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया जिससे इस दिन लोग अपने घरों में दीपक जलाते है।
जब श्री कृष्ण ने सभी गोपियों को छुड़ा दिया तो वे घर जाने से डर रही थी क्योंकि इतने समय तक राक्षस के पास रहने से कोई व्यक्ति उनके साथ विवाह नहीं करेगा इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने 16108 गोपियों से विवाह कर लिया था आपको एक रहस्य की बात बताए तो वे सभी वास्तव में स्त्री नहीं बल्कि साधु पुरुष थे जिसके पीछे की कथा रामायण काल में मिलती है।
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