
भारतीय भूमि हमेशा से ही एक पवित्र भूमि रही है, इतिहास के अनुसार यहाँ कई देवी देवताओं ने अवतार लिए है. अगर हम इसी इतिहास पर ध्यान केंद्रित करें, तो जब रावण के अत्याचार बहुत बढ़ गए और लोग परेशान हो गए, तो इन अत्याचारो से मुक्ति दिलाने के लिए पुनः भारतीय भूमि पर एक महापुरुष ने जन्म लिया. इस महापुरुष का नाम भगवान राम था, जिन्होने रावण के अत्याचारों से मुक्ति दिलवाई और उस वक़्त लोगों का उद्धार किया. त्रेता युग में जन्में भगवान राम के जन्मदिवस को ही राम नवमी के रूप में मनाया जाता है.
राम नवमी का महत्व (Ram Navami Mahatv) 
हर हिन्दू त्योहार का अपना एक अलग महत्व होता है, उसी तरह से राम नवमी का यह त्योहार धरती पर से बुरी शक्तियों के पतन और यहाँ साधारण मनुष्यों को अत्याचारों से मुक्ति दिलवाने के लिए भगवान के स्वयं आगमन का प्रतीक मानी जाती है. इस दिन धरती पर से असुरों के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए भगवान विष्णु ने स्वयं धरती पर अवतार लिया था. राम नवमी सभी हिंदुओं के लिए एक खास उत्सव है, जिसे वह पूरे उत्साह से मनाता है. इस दिन जन्में श्री राम ने धरती पर से रावण के अत्याचार को समाप्त कर यहाँ राम राज्य की स्थापना की थी और दैवीय शक्ति के महत्व को समझाया था.
इस दिन ही नवरात्रि का अंतिम दिन भी होता है, इसलिए दो प्रमुख हिन्दू त्योहारो का एक साथ होना, इस त्योहार के महत्व को और अधिक बढ़ा देता है. कहा जाता है कि श्री गोस्वामी तुलसीदास जी ने जिस राम चरित मानस की रचना की थी, उसका आरंभ भी उन्होने इसी दिन से किया था.
राम नवमी 2019 में कब है? (2019 Date and Time of Raam Navami)
इस वर्ष 2019 में 6 अप्रेल से नवरात्रि प्रारंभ होगी और 13 अप्रैल 2019, दिन शनिवार को नवरात्रि के नौवे दिन राम जन्म राम नवमी मनाई जाएगी. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 11:13 से 13:43 तक का है. इस तरह से आप 2 घंटे 30 मिनिट के टाइम में आराम से पूजा अर्चना कर सकते है.
राम जन्म अवतार इतिहास, कथा (Ram Janam Avtar History or Katha) :
त्रेता युग में जब धरती पर रावण और तड़का जैसे असुरो का आतंक बढ़ गया तो स्वयं भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के अवतारो का धरती पर आगमन हुआ और इन्होने अपने भक्तो का उद्धार किया. पुरानी कथाओ के अनुसार त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ की 3 पत्नियाँ थी, परंतु फिर भी वे संतान सुख से वंचित थे. महाराज दशरथ ने अपनी एक मात्र पुत्री शांता को गोद दे दिया था, जिसके बाद उन्हें कई वर्षो तक कोई संतान नहीं हुई. इससे व्यथित राजा दशरथ को ऋषि वशिष्ठ ने कमेष्ठि यज्ञ करवाने की आज्ञा दी. इस यज्ञ के फलस्वरूप राजा दशरथ के यहाँ तीनों रानियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और उनकी प्रथम पत्नी कौशल्या की कोख से भगवान राम का जन्म हुआ. राजा दशरथ के तीन अन्य पुत्र भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न थे.
राम के गुरु :
ब्रह्म ऋषि वशिष्ठ भगवान राम के गुरु थे, जिन्होंने उन्हें वैदिक ज्ञान के साथ- साथ शस्त्र अस्त्र में निपूर्ण किया. ब्रह्म ऋषि विश्वामित्र ने भी राम को शस्त्र विद्या दी और इन्ही के मार्गदर्शन में राम ने तड़का वध एवम अहिल्या उद्धार किया और सीता स्वयम्वर में हिस्सा लिया और सीता से विवाह किया.
राम वनवास कथा (Ram Vanvas )
महाराज दशरथ अपने जेष्ठ पुत्र राम को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे, लेकिन उनकी अन्यपत्नी कैकई की मंशा थी, कि उनका पुत्र भरत सिंहासन पर बैठे, इसलिए उन्होंने राजा दशरथ से अपने दो वरदान (यह वे वरदान थे, जिनका वचन राजा दशरथ ने तब दिया था, जब युद्ध के दौरान रानी कैकई ने राजा दशरथ के प्राणों की रक्षा की थी) मांगे, जिसमे उन्होंने भरत का राज्य अभिषेक और राम के लिए वनवास माँगा और इस तरह भगवान राम को चौदह वर्षो का वनवास मिला. इस वनवास में सीता एवम भाई लक्ष्मण ने भी अपने भाई के साथ जाना स्वीकार किया. साथ ही भरत ने भी भातृप्रेम को सर्वोपरि रखा और एक वनवासी की तरह ही चौदह वर्षो तक अयोध्या को एक अमानत के रूप में स्वीकार किया.
वनवास काल :
इस वनवास में भगवान राम ने कई असुरों का संहार किया. शायद कैकई के वचन केवल आधार थे, क्यूंकि नियति कुछ इस प्रकार थी. भगवान राम ने अपने वनवास काल में हनुमान जैसे सेवक, सुग्रीव जैसे मित्र को पाया. नियति ने सीता अपहरण को निम्मित बनाकर रावण का संहार किया. सीता जन्म का उद्देश्य ही रावण संहार था, जिसे श्री राम ने पूरा कर मनुष्य जाति का उद्धार किया.
राम राज्य :
श्री ने वनवास काल पूर्ण किया और भरत ने अपने बड़े भ्राता को अयोध्या का राज पाठ सौंपा. मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने एक ऐसे राम राज्य की स्थापना की. जिसे सदैव आदर्श के रूप में देखा गया. राम ने प्रजा हित के सीता का परित्याग किया. अपने कर्तव्यों के लिए उन्होंने स्वहित को द्वीतीय स्थान दिया और इस तरह राम राज्य की स्थापना की.
राम के लव कुश :
सीता ने प्रजाहित के लिए परित्याग स्वीकार किया और अपना जीवन वाल्मीकि आश्रम में बिताया और उस समय सीता ने दो पुत्रो को जन्म दिया, जिनका नाम लव कुश था. यह दोनों ही पिता के समान तेजस्वी थे. इन्ही के हाथो राम ने अपने राज्य को सौंपा और स्वयं ने अपने विष्णु अवतार को धारण कर अपने मानव जीवन को छोड़ा.
राम नवमी क्यों मनाते है (Why We Celebrate Ram Navami)
त्रेता युग में लोग रावण नामक राक्षस के अत्याचार बहुत बढ़ गए थे और लोग परेशान हो गए थे. रावण महाज्ञानी था और महापराक्रमी भी, वह भगवान शिव का महाभक्त भी था. उसे वरदान भी प्राप्त थे, उसका खात्मा किसी साधारण मनुष्य के वश में नहीं था. तब लोगों को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलवाने के लिए भगवान विष्णु ने स्वयं धरती पर अवतार लिया. उनका जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन रानी कौशल्या की कोख से हुआ था. इसलिए यह दिन सभी भारत वासियों के लिए खास है, जिसे विशेष उत्साह के साथ पूरे देश मे मनाया जाता है.
परंतु रावण का वध करना श्री राम के पूजन का कारण नहीं है, बल्कि श्री राम का पूरा जीवन ही एक उदाहरण है. अपने जीवन चरित्र के चलते श्री राम मर्यादा पुरषोत्तम कहलाए. इनहोने अपने पिता के एक आदेश मात्र पर, महल के सुख त्यागकर वन जीवन को स्वीकार किया था. इस प्रकार इनके जीवन को एक आदर्श जीवन के रूप मे प्रस्तुत करना और आने वाली पीढ़ियों तक यह संदेश पंहुचाना भी इस दिन को मनाने का एक उद्देश्य है.
राम नवमी कैसे मनाई जाती है (How to Celebrate Ram Navami)
राम नवमी हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक त्योहार है, जिसे भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह त्योहार नवमी तिथि के दिन पड़ता है और इसका माह चैत्र है. चैत्र माह में माँ दुर्गा की भी पूजा की जाती है और नवरात्रि मनाई जाती है. इसी दौरान नवरात्रि के नौवे दिन राम नवमी होती है. हिन्दू धर्म में इस दिन विभिन्न धार्मिक ग्रंथो का पाठ, हवन पूजन, भजन आदि किया जाता है. इस दिन कई लोग शिशु रूप में भगवान राम की मूर्ति पूजा भी करते है.
इस दिन राम लला के मंदिर आकर्षण का केंद्र होते है, साथ ही यहाँ का प्रसाद वितरण भी खास होता है. कुछ लोग इस समय नवरात्रि में पूरे नौ दिन का उपवास रखते है और अंतिम दिन भगवान राम की पूजा के बाद उपवास खोलते है और आशीर्वाद प्राप्त करते है. जैसा की हम जानते है, भारत में बहुत ही विभिन्नताएँ है, इसलिए यहाँ प्रचलित कुछ मानताओं में भी कुछ विभिन्नता देखने के लिए मिलती है. दक्षिण भारत के लोग इस त्योहार को भगवान राम और देवी सीता की शादी की सालगिरह के रूप में मानते है, परंतु रामायण के अनुसार अयोध्यावासी पंचमी के दिन इनका विवाहोत्सव मनाते है.
अलग अलग क्षेत्रों में इस त्योहार को मनाने का तरीका भी अलग है. जहां अयोध्या और बनारस में इस दिन गंगा और सरयू में स्नान के बाद डुबकी लगाई जाती है और भगवान राम, सीता और हनुमान की रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है, वही अयोध्या, सितामणि, बिहार रामेश्वरम आदि जगहो पर चैत्र पक्ष की नवमी पर भव्य आयोजन किए जाते है. यह दिन सभी हिंदुओं के लिए खास होता है, बस सबके मनाने का तरीका अलग होता है.
कई जगहों पर इस दिन पंडालों में भगवान राम की मूर्ति कि स्थापना भी कि जाती है. यह दिनभगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या में विशेष रूप से मनाया जाता है, परंतु यहाँ अब भी भगवान राम का मंदिर बनना बाकी है.
राम का जन्म अभिजित नक्षत्र में दोपहर बारह बजे चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी को हुआ था, कई जगहों पर इस दिन सभी भक्तजन अपना चैत्र नव रात्री का उपवास दोपहर 12 बजे पूरा करते हैं. घरो में खीर पुड़ी और हलवे का भोग बनाया जाता हैं. कई जगहों पर राम स्त्रोत, राम बाण, अखंड रामायण आदि का पाठ होता हैं, रथ यात्रा निकाली जाती हैं, मेला सजाया जाता हैं.
पूजा सामाग्री और पूजन विधि (Poojan Samagri and Poojan Vidhi)
भारतीय मान्यता के अनुसार भगवान राम सूर्य के वंशज थे इसलिये यह दिन सूर्योदय के साथ ही सूर्य को जल अर्पण कर शुरू किया जाता है. इसके अलावा इस दिन कई जगहो पर लोग अखंड रामायण का पाठ भी करते है और राम जन्म के समय उनकी मूर्ति का विशेष अभिषेक कर उन्हे तिलक सामाग्री अर्पित की जाती है और फिर उन्हे धूप आदि लगाकर उन्हे भोग अर्पित किया जाता है. इसके बाद भगवान को चावल अर्पित करके आरती की जाती है. इस दिन भगवान के भक्तों के लिए भी प्रसादी स्वरूप भंडारो का आयोजन होता है.
भगवान राम का पूरा जीवन ही एक उदाहरण है उनका जीवन त्याग, तप सम्मान और शांति का प्रतीक है. इनका जीवन पारिवारिक प्रेम का भी उदाहरण हैं इनके मन मे अपने भाइयो के प्रति अपार प्रेम था जो माता कैकई के भेदभाव के बाद भी कम नहीं हुआ. इसी के साथ कैकई के गलत निर्णय के बाद भी इनके मन मे अपनी माँ कैकई के लिए भी समान सम्मान और प्यार था. इसके अलावा उनका जीवन यह बात भी दर्शाता है कि जब जब धरती पर अत्याचार बढ़ेंगे और पाप का घड़ा पुण्य से ज्यादा उचा होगा तो आम जनता को उनसे बचाने वाले का भी अवतरण होगा. वैसे तो संपूर्ण भारतीय इतिहास ही इस बात का उदाहरण है तभी तो यहाँ कृष्ण, राम और अन्य कई भगवान के अवतरण के प्रतीक आज भी देखने के लिए मिलते है.
राम नवमी संदेश शायरी (Ram Navami Wish SMS Shayari)
- राम नाम का महत्व न जानेवो अज्ञानी अभागा हैंजिसके दिल में राम बसावो सुखद जीवन पाता हैं

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- राम नवमी पर जन्म हुआइस मर्यादा पुरुषोत्तम राम काजिसने रावण के अहंकार को मिटाकरफैराया पताका सच्चाई का

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अयोध्या के वासी राम
रघुकुल के कहलाये राम
पुरुषो में हैं उत्तम राम
सदा जपों हरी राम का नाम
रघुकुल के कहलाये राम
पुरुषो में हैं उत्तम राम
सदा जपों हरी राम का नाम
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मन राम का मंदिर हैं
यहाँ उसे विराजे रखना
पाप का कोई भाग ना होगा
बस राम को थामे रखना
यहाँ उसे विराजे रखना
पाप का कोई भाग ना होगा
बस राम को थामे रखना
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राम नाम का फल हैं मीठा
कोई चख के देख ले
खुल जाते हैं भाग
कोई पुकार के देख ले
कोई चख के देख ले
खुल जाते हैं भाग
कोई पुकार के देख ले
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- क्रोध को जिसने जीता हैंजिनकी भार्या सीता हैंजो भरत शत्रुघ्न लक्ष्मण के हैं भ्राताजिनके चरणों में हैं हनुमंत ललावो पुरुषोत्तम राम हैंभक्तो में जिनके प्राण हैंऐसे मर्यादा पुरुषोत्तम राम कोकोटि कोटि प्रणाम हैं |

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- राम न जाने हिन्दू क्याराम न जाने मुस्लिमराम तो सुनते उन भक्तो कीजिनके कर्मो में धर्म हैंजिनकी वाणी में सत्य हैंजिनके कथन से कोई दिल ना दुखेजिनके जीवन में पाप ना बसेजो सदमार्ग पर चलता हैंराम तो बस उसी में मिलता हैं.
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